DhamSadguru – Sadguru Dham https://sadgurudham.com Sadguru Dham Wed, 09 Apr 2025 11:09:45 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8 https://sadgurudham.com/wp-content/uploads/2024/02/cropped-Sadguru-dham-final-logo-1-32x32.png DhamSadguru – Sadguru Dham https://sadgurudham.com 32 32 बद्रीनाथ में होने जा रहा है 12वां विशाल भंडारे का आयोजन https://sadgurudham.com/the-12th-huge-bhandara-is-going-to-be-organized-in-badrinath/ https://sadgurudham.com/the-12th-huge-bhandara-is-going-to-be-organized-in-badrinath/#respond Wed, 09 Apr 2025 10:56:52 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2343 हर साल की भांति इस साल भी बद्रीनाथ के सद्गुरु धाम आश्रम में संतों की सेवा का पुण्य अवसर फिर से लौट आया है। इसी अवसर को देखते हुए सद्विप्र समाज एक बार फिर से विशाल भंडारे का आयोजन कर रहा है। इसके लिए 02 मई की तिथि निर्धारित की गई है। इसलिए जो लोग बद्री विशाल के शरण में पहुंचे संतों की सेवा करना चाहते हैं वह स्क्रीन पर दिए गए नंबर पर कॉल कर सकते हैं।

बद्रीनाथ के भंडारे में क्यों लेना चाहिए हिस्सा ?

बद्रीनाथ को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी का निवास स्थान है। इसे दुनिया का सबसे पवित्र और आध्यात्मिक स्थान माना जाता है। प्राचीन काल में संत कबीर, संत रविदास, संत रामानंद जी और श्री गुरू नानक देव जी एक साथ मक्का मदीना की यात्रा करते हुए इस स्थान पर पहुंचे थे, लेकिन उस समय के पंडितों द्वारा यहाँ जाने की मनाही के बाद संतों ने वहीं डेरा डाल दिया। उस समय माता लक्ष्मी स्वयं प्रकट हुई और संतों के लंगर की सेवा की। मान्यता है कि यहां भंडारे में किया गया दान कई गुना फल देता है।   

दान के माध्यम से आप पुण्य अर्जित कर सकते हैं, भंडारे के लिए आप स्वेच्छा से दान कर सकते हैं-

  • 1100 रु.
  • 2100 रु.
  • 5100 रु.
  • 11000 रु.
  • 15000 रु.

आवेदक: SVSS बद्रीनाथ धाम लंगर समिति
संपर्क सूत्र : 9815185635, 9811210615
कार्यालयः सद्‌गुरू धाम आश्रम, मेन रोड, सूलर, पटियाला (पंजाब)

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गुजरात – नवरात्रि के पावन अवसर पर हुआ विशेष आयोजन https://sadgurudham.com/gujarat-special-event-organized-on-the-auspicious-occasion-of-navratri/ https://sadgurudham.com/gujarat-special-event-organized-on-the-auspicious-occasion-of-navratri/#respond Wed, 09 Apr 2025 10:53:53 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2325 गुजरात के द्वारिका में नवरात्रि के पावन अवसर पर सद्गुरु धाम की ओर से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन की शुरुआत 30 मार्च को सद्गुरु के आगमन के साथ हुई थी… जिसका समापन 06 अप्रैल को ब्रह्मदीक्षा और पूर्णाहूति के साथ हुआ। इस दौरान सद्गुरु के आशीर्वचन के साथ गुरु पूजन, भंडारा और साधना से जुडे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया।

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DSS साधना शिविर में सात श्रद्धालुओं ने ली DSS की दीक्षा https://sadgurudham.com/seven-devotees-took-dss-initiation-in-dss-sadhna-camp/ https://sadgurudham.com/seven-devotees-took-dss-initiation-in-dss-sadhna-camp/#respond Tue, 08 Apr 2025 10:32:46 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2319 दिव्य गुप्त विज्ञान, हिमालय की तपोस्थली से निकली एक ऐसी विद्या जो किसी भी साधक के पूरे जीवन को बदलने की क्षमता रखती है। इस विद्या की खोज इस कलयुगी समाज में लोगों के आत्म उत्थान के लिए आज के समय के सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के द्वारा की गई है। ऐसा ही आत्मिक उत्थान के काज महाराष्ट्र में देखने को मिला। जहां सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के प्रभाव का अद्भुत नजारा दिखा।

महाराष्ट्र के अमरावती जिले में 31 मार्च को दिव्य गुप्त विज्ञान साधना शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान एक साथ सात  श्रद्धालुओं ने DSS की दीक्षा ली। यह विलक्षण साधना सद्गुरु के आशीर्वाद से आचार्या गीता भारती जी के नेतृत्व में दी गई। इसका आयोजन भी उनके निवास स्थान पर हुआ। वहीं इस मौके पर आचार्या गीता के साथ आचार्य जयंत तावड़े भी मौजूद रहें। जिन्होंने DSS की दीक्षा से सभी साधकों को अवगत कराते हुए उनके मानसिक शक्ति को मजबूत करने की ट्रेनिंग भी दी।

DSS के साधना शिविर में जिन सात श्रद्धालुओं ने भाग लिया। उनमें मलकापुर के रहने वाले जयंत मिशाले, विनोद, निलेश काले, मुंबई के अक्षया बोबड़े, डॉ कविता और पुणे की रहने वाली पूजा के साथ राहुल पुनसे शामिल थे। इस आयोजन में अभिषेक येलणे और योगेश गवली का भी स्वयंसेवक के रूप में विशेष योगदान रहा।

क्या है दिव्य गुप्त विज्ञान ?

DSS यानी दिव्य गुप्त विज्ञान भारतीय ऋषि और गुरुओं की देन है… इसकी खोज सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज ने की है। यह ध्यान की उच्चतम तकनीकों में शामिल है। जिसके प्रयोग से कोई भी साधक अपने सांसारिक कार्यों में सफल होते हुए समाधि में प्रवेश कर सकता है। यह पूर्णत: वैज्ञानिक विधि है। जिसे सद्गुरु अपने शिष्य यानी सद्गुरु धाम के आचार्यों के माध्यम से लोगों में शक्ति पात कराते हैं। इसके बाद किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का सकारात्मक ऊर्जा में रुपांतरण होने लगता है और DSS लेने वाला साधक सहज योग की ओर बढ़ने लगता है।

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शाहजहांपुर में किया गया हवन पूजन https://sadgurudham.com/hawan-pujan-was-done-in-shahjahanpur/ https://sadgurudham.com/hawan-pujan-was-done-in-shahjahanpur/#respond Tue, 08 Apr 2025 10:26:33 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2316 यूपी के शाहजहांपुर में धार्मिक कार्यक्रम देखने को मिले। यहां दो अलग-अलग स्थानों पर हवन पूजन का आयोजन किया गया। ये प्रोग्राम बहेड़ गांव में राकेश सिंह और जमीलापुर में राजन सिंह के आवास पर हुआ। इस दौरान सुरेंद्र पाल सिंह चौहान, ललित मोहन, लीला देवी के साथ सद्विप्र समाज के अन्य लोग भी मौजूद रहें।

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रायपुर में किया गया हवन पूजन https://sadgurudham.com/hawan-pujan-was-done-in-raipur/ https://sadgurudham.com/hawan-pujan-was-done-in-raipur/#respond Tue, 08 Apr 2025 10:18:59 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2311 छत्तीसगढ़ में रायपुर के सद्गुरु धाम आश्रम तुलसी में हवन पूजन का आयोजन किया गया। अमावस्या के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में संध्या पाठ, मंगलाचरण के बाद प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की गई।

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गौरखेड़ा में हुआ हवन पूजन का आयोजन https://sadgurudham.com/hawan-pujan-was-organized-in-gaurkheda/ https://sadgurudham.com/hawan-pujan-was-organized-in-gaurkheda/#respond Tue, 08 Apr 2025 10:13:39 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2308 छत्तीसगढ़ के गौरखेड़ा में हवन पूजन का आयोजन देखने को मिला। यहां पूजा के दौरान सद्गुरु के शिष्य सुनिता और ओमप्रकाश समेत दूसरे लोग मौजूद रहें।

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तीन सिद्धियों के बिना कैसे गुलाम है इंसान ? https://sadgurudham.com/how-can-a-man-be-a-slave-without-these-three-siddhis/ https://sadgurudham.com/how-can-a-man-be-a-slave-without-these-three-siddhis/#respond Wed, 26 Mar 2025 09:21:58 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2302 भगवान बुद्ध ने कहा था कि यह संसार दुखों से भरा हुआ है. क्योंकि यहां रहने वाला इंसान हर चीज को खुद में बांधना चाहता है। वह उन वस्तुओं में खुश नहीं जो उन्हें प्राप्त हुआ है। इसलिए सबकुछ मिल जाने के बाद भी वह खुद को अधूरा ही समझता हैं।

भगवान बुद्ध की इन बातों का सार लिखते हुए सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज इसे गुलामी से देखते हैं। वह अपनी पुस्तक बुद्धों का पथ में लिखते हैं कि। स्वतंत्रता को लेकर सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि आप एक आजाद मुल्क में घूम रहे हो और अपनी इच्छा के हिसाब से कुछ भी कर रहे हो। वह स्वतंत्रता की परिभाषा नहीं है। बल्कि सही मायने में आजादी का संबंध आपकी इंद्रियों से होता है। जो आपके मन से जुड़ा होता है। दरअसल, अपने मन को कंट्रोल करके अपनी इंद्रियों का स्वामी बन जाना ही स्वतंत्रता है। जो मोक्ष, निर्वाण और परमसिद्धि की ओर ले जाता है लेकिन यह स्वतंत्रता प्राप्त होती है उन सिद्धियों से जिसमें स्वयं सिद्ध के साथ वंश सिद्ध, वचन सिद्ध और साधना सिद्ध भी शामिल है।  

क्या होता है स्वयं सिद्ध ?

स्वयं सिद्ध वह इंसान होता है जो शून्य स्थिति को प्राप्त कर गया है। उसके अंदर अपने भक्तों, शिष्यों और सगे-संबंधियों के बंधन से मुक्त होने की चाहत उठ रही होती है। वे अपनी सांसारिक कामना से भी दूर रहना चाहता है। वहीं सांसारिक वासना में फंसा व्यक्ति अपना दोष गुरु पर डालकर, उनसे अलग हो जाता है। वह लोगों के सामने अपने गुरु की लीला के बजाय सामने खुद को प्रचारित करता है। लेकिन स्वयं सिद्ध को प्राप्त व्यक्ति खुद के बजाय गुरु की लीला को समाज के सामने बताता। वह जानता है कि सही राह दिखाने के लिए एक सद्‌गुरु अपने परमप्रिय भक्त का सभी कुछ हरण कर लेते हैं। सबसे पहले वह उसके अहंकार से जुड़ी वृत्तियों खत्म करते हैं। इसके बाद उसको आत्म मोक्षार्थ की ओर ले जाते हैं।

वंश सिद्ध से कैसे मिलती है आजादी ?

स्वतंत्रता प्राप्त करने वाली कड़ी में वंश सिद्ध भी आता है। जिसकी सिद्धी स्वयं सिद्ध के बिना संभव नहीं हो सकती। दरअसल जो साधक स्वयं सिद्ध होते हैं, उनसे अति असाधरण आत्माएं ही सिद्ध हो जाती है। इन्हें आप राहुल और  कमाल के संदर्भों में समझ सकते हैं।

असल में वंश सिद्ध एक पिता से उसके पुत्रों में होने वाली सिद्धी को परिभाषित करती है। जिसमें बुद्ध से मिली राहुल को सिद्धी, कबीर के जरिए कमाल को सिद्धी, नानक से मिली श्री चंद जी को मुक्ति, राम से लव-कुश और श्री कृष्ण से मिली प्रद्युम्न जी को सिद्धी शामिल है। वहीं भगवान कृष्ण को भी वंश सिद्ध के माध्यम से गीता में मुक्त बताया गया है। सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज इन बातों को बताते हुए कहते हैं कि-

मेरी मान्यता है कि मुक्त आत्माएं सदैव मुक्त मां-बाप के माध्यम से ही संसार में आती हैं। क्योंकि उनके प्रकाश को सभी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। इसलिए वंश सिद्ध तेजवान मां-बाप से उनके तेजवान पुत्रों में स्थानांतरण होता है। यदि यह सिद्धी सबको मिलनी होती है तो राम के जरिए रावण या श्री कृष्ण के जरिए कंस को ही प्राप्त हो जाती।

वचन सिद्ध से कैसे मिलती है स्वतंत्रता ?

स्वतंत्रता प्राप्त करने की श्रेणी में तीसरा वचन सिद्ध आता है। जो पूर्णत: गुरु अनुकंपा का परिणाम है। आप अधिकतर “मोक्ष मूलं गुरु कृपां” की कथन सुनते होंगे। असल में यह वाक्य वचन सिद्ध के लिए समर्पित है, जो यह बतलाता है कि किसी भी शिष्य को गुरु की सेवा तन-मन-धन से निष्काम योग की तरह करनी चाहिए। उसकी अपनी कोई कामना नहीं होनी चाहिए है। गुरु की कामना ही उसकी कामना और गुरु की इच्छा ही उसकी इच्छा होनी चाहिए। जो इंसान वचन सिद्ध को प्राप्त होता है। उसे उठते-बैठते, सोते जागते गुरु ही दिखाई पड़ने लगते हैं और फिर एक दिन ऐसा आता है जब उसके गुरु खुद कहते हैं कि अब तुम्हारी सिद्ध होने की बारी आ गई है।

आजादी दिलाने में साधन सिद्ध की क्या भूमिका है ?

स्वतंत्रता प्राप्त करने वाली कड़ी में अंतिम सिद्ध  साधन सिद्ध होता है। जिसे साधना सिद्ध को अध्यात्म में पिपलिका मार्ग भी कहा जाता है। इस सिद्धी को प्राप्त करने वाले इंसान को अपने जन्मों की स्मृति बनी रहती है। वह माया के बंधन में कभी नहीं बंधते और उनकी यात्रा अनंत सफर वाली होती है। क्योंकि वह अपने गुरु और मां-बाप के दिखाए मार्गों पर चलकर मोक्षार्थ की ओर बढ़ने लगते हैं। सद्गुरु इन सिद्धियों के बारे में बताते हुए कहते हैं-

“जो इंसान इन चार सिद्धियों को प्राप्त हो जाता है। वह अपने उद्देश्य के पक्के हो जाते हैं। इन्हें अपना-पराया न तो सम्मोहित कर पाता है और न ही किसी बंधन के जाल में बांध पाता…”

तो यह मन की गुलामी से बचकर खुद को आजाद करने को लेकर कुछ सिद्धियों के सार है.. जिसे सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज ने अपनी पुस्तक बुद्धों का पथ में बखुबी बताने की कोशिश की है।

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अंबेडकरनगर में हुआ सद्गुरु का भव्य स्वागत https://sadgurudham.com/sadhguru-received-a-grand-welcome-in-ambedkar-nagar/ https://sadgurudham.com/sadhguru-received-a-grand-welcome-in-ambedkar-nagar/#respond Wed, 26 Mar 2025 09:15:49 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2290 22 मार्च से सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज का यूपी के अंबेडकर नगर में आगमन हुआ।   यहां 24 मार्च को आशीर्वचन के साथ ब्रह्मदीक्षा का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ। इस दौरान सद्गुरु का भव्य स्वागत भी देखने को मिला।

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दिल्ली : गृह प्रवेश के मौके परमुंडकामें हुआ सद्गुरु का आगमन https://sadgurudham.com/sadhguru-arrives-in-mundka-on-the-occasion-of-griha-pravesh/ https://sadgurudham.com/sadhguru-arrives-in-mundka-on-the-occasion-of-griha-pravesh/#respond Wed, 26 Mar 2025 09:13:16 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2283 दिल्ली के मुंडका में सद्गुरु का आगमन हुआ। यह आगमन एक शुभ घड़ी के मौके पर हुआ जब उनके भक्त प्रेम जी ने अपने नए घर का उद्घाटन समारोह रखा। इस दौरान सद्गुरु ने फीता काटकर अपने भक्त के नए घर में प्रवेश किया। वहीं इस मौके पर हवन, सत्संग के साथ भंडारे की भी व्यवस्था की गई। जिसमें सद्गुरु प्रतिनिधि आचार्य कुणाल स्वामी के साथ सद्विप्र समाज के लोग भी नजर आए।

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दिल्ली: सद्गुरु धाम आश्रम में हुआ होली मिलन समारोह का आयोजन https://sadgurudham.com/holi-milan-function-was-organized-at-sadguru-dham-ashram/ https://sadgurudham.com/holi-milan-function-was-organized-at-sadguru-dham-ashram/#respond Wed, 26 Mar 2025 09:11:05 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2270 दिल्ली के नागलोई स्थित सद्गुरु धाम आश्रम एक बार फिर से गुरू कृपा की होली के रंगों में सराबोर दिखा। यहां 09 मार्च को सद्गुरु के सानिध्य में बड़े ही धूम धाम से होली खेली गई। इस दौरान हवन पूजन और नाच गाने के साथ सद्गुरु के आशीर्वचन सुनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। अपने प्रवचन के जरिए उन्होंने आश्रम में मौजूद सभी लोगों को जन कल्याण की भावना से जुड़े संदेश भी दिए। वहीं होली मिलन समारोह में शामिल हुए लोग जहां एक ओर होली के गीतों पर थिरकते हुए दिखे तो दूसरी ओर उन्हें सद्गुरु से आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ।

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