Sadguru Dham https://sadgurudham.com Sadguru Dham Thu, 08 May 2025 07:15:50 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://sadgurudham.com/wp-content/uploads/2024/02/cropped-Sadguru-dham-final-logo-1-32x32.png Sadguru Dham https://sadgurudham.com 32 32 कैसे हुई सनातन धर्म की उत्पत्ति ? (How did Sanatana Dharma originate?) https://sadgurudham.com/how-did-sanatana-dharma-originate/ https://sadgurudham.com/how-did-sanatana-dharma-originate/#respond Thu, 08 May 2025 07:15:49 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2417 सनातन को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यह एक शाश्वत सत्य है जो इस संसार में हमेशा बना रहेगा। लेकिन क्या आपको पता है कि सनातन धर्म की उत्पति कहां से हुई। आखिर वो महान गुरु कौन थे जिन्होंने सनातन की नींव रखने का काम किया। आज हम आपको एक ऐसे ऋषि के बारे में बताएंगे, जिनकी वजह से आज पूरी दुनिया में सनातन धर्म अपने चरम पर पहुंचा है।

सनातन की नींव रखने वाले ऋषि का क्यों हुआ मोहभंग ?

सनातन की इस संसार में नींव रखने वाले ऋषि कोई और नहीं बल्कि सप्तऋषियों में से एक ऋषि कश्यप है। जिसके बारे में बताते हुए सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज अपनी पुस्तक स्वर से समाधि में लिखते हैं कि-

“ऋषि कश्यप के बिना भारतीय पुराण अधूरा कहलाएगा क्योंकि देव, दानव, नाग, गंधर्व, किन्नर सभी पर इनका समान अधिकार था। सभी को उन्होंने भारतीय अध्यात्म से परिचित कराया। ऋषि कश्यप युवावस्था में ही अपने राज्य का त्याग कर अवंद पर्वत पर तपस्या करनी शुरू कर दिए थे। वह लोगों में समान शिक्षा, संस्कृति और अध्यात्म का प्रचार भी किए। हालांकि कुछ बुद्धिजीवियों ने उन्हें नाग, पक्षी, राक्षस और देव जैसी जातियों में भी बांटा है क्योंकि उनके द्वारा सभी को स्वरोदय का ज्ञान देकर आत्मबोध कराने का कठोर तप शुरू किया गया था। जिसे देख अच्छे लोगों में जहां उत्साह हुआ तो वहीं दुष्ट जन उनका विरोध करने लगे। अतंत: कश्यप का अपने यौवनावस्था में ही संसार से मोह भंग हो गया और उन्होंने अपने राजपाट को छोड़ने का मन बना लिया“

ऋषि कश्यप को विवाह के लिए किसने राजी किया ?

सांसारिक भोग-वृत्ति और राजपाट से अलग होकर युवा कश्यप एक आश्रम में रहने लगे। धीरे धीरे उनका आश्रम बड़ा होता गया, जिसे कश्यप सागर कहा गया वहीं जिस पर्वत पर बैठकर उन्होंने तप की थी वो काकेशत पर्वत कहलाया। जो वर्तमान के ईरान में है। ऋषि की ख्याति धीरे धीरे बढ़ती गई और उनके पिता मारीचि तक जा पहुंची जिसे सुन वह काफी प्रसन्न हुए। इसके बाद ऋषि मरीचि ने कश्यप से विवाह करने का आग्रह किया। इसको लेकर ऋषि मरीचि ने उनको समझाते हुए कहा कि-

“तुम्हारे विवाह में कोई अड़चन नहीं है। विवाह के बाद एक ओर तुम्हारी पत्नी तुम्हारे सद्कर्म में मदद करेगी तो वही दूसरी ओर तुम्हारे पुत्र तुम्हारे कार्य को आगे बढ़ाएंगे” पिता की बातों को सुन ऋषि कश्यप शादी के लिए तैयार हो गए ।

ऋषि कश्यप को कैसे बदनाम करते हैं कुछ तार्किक लोग ?

सद्गुरु आगे बताते हैं कि उस समय दो ही प्रजापति थे, मारीच और दक्ष। ये दोनो ही पूरे संसार के राजा थे। प्रजापति दक्ष को कश्यप से जुड़ी जानकारी मिल गई थी। इसलिए उन्होंने बिना किसी संकोच अपनी बड़ी कन्या दीती से कश्यप की शादी करा दी। दीती ने अपने पत्नी धर्म को निभाते हुए ऋषि कश्यप के काम को आगे बढ़ाया। हालांकि कुछ समय बाद ऋषि कश्यप दक्ष के साथ ही रहने लगे। इसलिए प्रजापति ने अपनी बाकी बेटियों की भी शादी उनसे करा दी।

इसको लेकर कुछ पुराणों में ऐसा जिक्र मिलता है कि इन्हीं कन्याओं से दैत्य, दानव, देवता, नाग, गरूड़ और पक्षियों ने जन्म लिया। जो सभी अपनी-अपनी मां के साथ अलग-अलग रहने लगे और भिन्न- भिन्न राज्यों की स्थापना भी की। लेकिन सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज इन व्याख्याओं का तर्क देते हुए इसे ऋषि कश्यप को बदनाम करने वाला बताते हैं। वह कहते हैं कि- “ऋषि कश्यप के गुरु अग्नि थे, जिन्होंने उन्हें स्वर रूपी अग्नि का ज्ञान कराया, जिसे वह पृथ्वी पर समभाव से फैला रहे थे’’

पृथ्वी पर कैसा हुआ सनातन का विस्तार ?

अपने गुरु के ज्ञान को फैलाने के लिए ऋषि कश्यप मे पूरी पृथ्वी को तेरह भागों में बांटा। उन तेरह भागों पर धर्म प्रचार के लिए अपनी तेरह पत्नियों को भेजा और वह सभी अलग-अलग जगह पर अपना आश्रम बना कर लोगों को शिक्षित करने लगीं। इस तरह  कश्यप का धर्मरूपी परिवार बढ़ने लगा। हालांकि कुछ समय बाद ऋषि ने अपनी पत्नी और शिष्यों को अपना नाम बताने से मना कर दिया। वह लोग दल बनाकर गांव-गांव जाने लगे। लोगों को नवचेतना का संदेश देने लगे। जब उनसे कोई पूछता कि आपको किसने भेजा है। तब उनके दूत केवल मौन होकर मुस्कुरा देते और मुझे ज्ञात नहीं है के जरिए सारे सवालों के जवाब देने की कोशिश करते।

इस तरह कश्यप की विद्या और लोकप्रियता दिन-दुगनी रात चौगुनी बढ़ने लगी। उनका तेज इस कदर हो गया कि यह सारी पृथ्वी उनके यश से भर गई। धीरे धीरे सभी लोग अपने को कश्यप का पुत्र कहने लगे। जिसे अपने गोत्र का पता नहीं चलता वह खुद को कश्यप गोत्र बता देता। अतंत: पूरा संसार कश्यप ऋषि के शिष्यों और अनुयायियों से समाहित हो गया और फिर जगह-जगह विद्यालयों की स्थापना भी होने लगा।

ऋषि कश्यप को लेकर क्या कहते हैं सद्गुरु ?

अपनी पुस्तक स्वर से समाधि में इन बातों का जिक्र करते हुए  सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज कहते हैं कि सनातन की नींव रखने के पीछे कोई और नहीं बल्कि ऋषि कश्यप है। जिन्होंने पूरे संसार में धर्म के प्रचार-प्रसार का बीड़ा उठाया। यही वजह है कि  ऋषि कश्यप को भारतभूमि का पिता कहा जाता है। जिसे पुराणकारों ने विष्णु का अवतार भी घोषित किया है।

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बद्रीनाथ: DM – SP ने श्रद्धालुओं को बांटा प्रसाद https://sadgurudham.com/badrinath-dm-sp-distributed-prasad-to-the-devotees/ https://sadgurudham.com/badrinath-dm-sp-distributed-prasad-to-the-devotees/#respond Thu, 08 May 2025 07:10:30 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2413 बद्रीनाथ धाम में सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के नेतृत्व में 12वें विशाल भंडारे का आयोजन हो चुका है। यह आयोजन आगामी 06 माह जारी रहेगा। 04 मई से आयोजित हो रहे इस भंडारे में बद्रीनाथ के जिलाधिकारी संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने भी हिस्सा लिया।  इस मौके पर दोनों आला अधिकारी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करते हुए भी दिखे। वहीं साधु सदर्शनी समाज के अध्यक्ष महात्मा बिनोदानंद ने बताया कि सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों से बद्रीनाथ धाम में भंडारे का आयोजन होता आ रहा है। यह आयोजन यात्री आगम तक चलता रहता है। इस दौरान उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव डॉ बृजेश सती, ब्रह्मकपाल पंचायत समिति के केंद्रीय अध्यक्ष उमेश सती के अलावा सुरेश हटवाल, अरविंद, महावीर समेत अन्य लोग भी मौजूद रहें।

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शाहजहांपुर: अमावस्या के अवसर परहवन पूजन का आयोजन https://sadgurudham.com/shahjahanpur-havan-puja-organized-on-the-occasion-of-amavasya/ https://sadgurudham.com/shahjahanpur-havan-puja-organized-on-the-occasion-of-amavasya/#respond Thu, 08 May 2025 07:07:35 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2410 अमावस्या के अवसर पर प्रातः कालीन बेला में सद्विप्र समाज सेवा के द्वारा हवन पूजन का आयोजन किया गया। खुदागंज में आयोजित कार्यक्रमों का नेतृत्व सुरेंद्र पाल सिंह चौहान ने किया। इस दौरान राकेश सिंह बहेड़, राजन सिंह भी मौजूद रहें। इसके अलावा संतोष कुमारी, अजीत, राजेश सिंह, यशपाल सिंह आदि सद्विप्रों के साथ सद्गुरु कबीर सैनिकों ने भी भाग लिया।   

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दिल्ली – शरबत वितरण कार्यक्रम का आयोजन https://sadgurudham.com/delhi-sharbat-distribution-program-organized/ https://sadgurudham.com/delhi-sharbat-distribution-program-organized/#respond Thu, 08 May 2025 07:05:25 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2398 अक्षय तृतीया के अवसर पर शरबत वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन दिल्ली के सद्गुरु धाम आश्रम नांगलोई में हुआ। इस मौके पर राहगीरों ने जहां शरबत का आनंद लिया तो वही दूसरी ओर आश्रम में मौजूद सद्विप्र और कबीर सेना लोग जनसेवा के कार्य में मग्न दिखे।

सदगुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के मार्गदर्शन में

शरबत वितरण का कार्यक्रम – S.G.N Public School H-243 kunwar singh nagar, नांगलोई (न्यू दिल्ली)

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छत्तीसगढ़: सद्वविप्र समाज ने मनाया हनुमान जन्मोत्सव https://sadgurudham.com/chhattisgarh-sadvipra-samaj-celebrated-hanuman-jayanti/ https://sadgurudham.com/chhattisgarh-sadvipra-samaj-celebrated-hanuman-jayanti/#respond Thu, 08 May 2025 06:59:29 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2391 छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार, सुरगी और गौरखेड़ा आश्रम में हनुमान जन्मोत्सव के आध्यात्मिक नजारे देखने को मिले। इस दौरान जहां एक ओर बलौदा हसुवा और सुरगी में हनुमान जयंती पर पूजा- संकीर्तन का आयोजन किया गया तो वही दूसरी ओर सद्गुरु धाम गौरखेड़ा आश्रम में मंगलाचारण, ध्यान, हवन, हनुमान चालीसा पाठ के साथ भंडारे का भी आयोजन किया गया… ये सारे कार्यक्रम मधु जी और नीतू जी की यजमानी में संपन्न हुए। जिस दौरान सद्विप्र समाज के अन्य लोग भी मौजूद रहें।

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दिल्ली: सद्गुरु धाम आश्रम में मनाई गई हनुमान जयंती https://sadgurudham.com/delhi-hanuman-jayanti-celebrated-at-sadguru-dham-ashram/ https://sadgurudham.com/delhi-hanuman-jayanti-celebrated-at-sadguru-dham-ashram/#respond Thu, 08 May 2025 06:49:06 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2385 चैत्र पूर्णिमा में इस धराधाम पर अवतरित हुए राम भक्त हनुमान को सबसे बड़े गुरु भक्तों में शामिल किया जाता है। इसका प्रमाण हमें हनुमान चालीसा से मिलता है। जिसकी शुरुआत गुरु चरण की वंदना से होती है। गुरु भक्ति में लीन रहने वाले श्री हनुमान के जन्मोत्सव को देखते हुए दिल्ली के सद्गुरु धाम आश्रम नांगलोई में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन चल रहा है। इस दौरान सद्गुरु देव के सानिध्य में पूर्णिमा पूजन, मंगलाचरण, सत्संग, आशीर्वचन, पान-परवाने के साथ भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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बद्रीनाथ में होने जा रहा है 12वां विशाल भंडारे का आयोजन https://sadgurudham.com/the-12th-huge-bhandara-is-going-to-be-organized-in-badrinath/ https://sadgurudham.com/the-12th-huge-bhandara-is-going-to-be-organized-in-badrinath/#comments Wed, 09 Apr 2025 10:56:52 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2343 हर साल की भांति इस साल भी बद्रीनाथ के सद्गुरु धाम आश्रम में संतों की सेवा का पुण्य अवसर फिर से लौट आया है। इसी अवसर को देखते हुए सद्विप्र समाज एक बार फिर से विशाल भंडारे का आयोजन कर रहा है। इसके लिए 02 मई की तिथि निर्धारित की गई है। इसलिए जो लोग बद्री विशाल के शरण में पहुंचे संतों की सेवा करना चाहते हैं वह स्क्रीन पर दिए गए नंबर पर कॉल कर सकते हैं।

बद्रीनाथ के भंडारे में क्यों लेना चाहिए हिस्सा ?

बद्रीनाथ को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी का निवास स्थान है। इसे दुनिया का सबसे पवित्र और आध्यात्मिक स्थान माना जाता है। प्राचीन काल में संत कबीर, संत रविदास, संत रामानंद जी और श्री गुरू नानक देव जी एक साथ मक्का मदीना की यात्रा करते हुए इस स्थान पर पहुंचे थे, लेकिन उस समय के पंडितों द्वारा यहाँ जाने की मनाही के बाद संतों ने वहीं डेरा डाल दिया। उस समय माता लक्ष्मी स्वयं प्रकट हुई और संतों के लंगर की सेवा की। मान्यता है कि यहां भंडारे में किया गया दान कई गुना फल देता है।   

दान के माध्यम से आप पुण्य अर्जित कर सकते हैं, भंडारे के लिए आप स्वेच्छा से दान कर सकते हैं-

  • 1100 रु.
  • 2100 रु.
  • 5100 रु.
  • 11000 रु.
  • 15000 रु.

आवेदक: SVSS बद्रीनाथ धाम लंगर समिति
संपर्क सूत्र : 9815185635, 9811210615
कार्यालयः सद्‌गुरू धाम आश्रम, मेन रोड, सूलर, पटियाला (पंजाब)

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गुजरात – नवरात्रि के पावन अवसर पर हुआ विशेष आयोजन https://sadgurudham.com/gujarat-special-event-organized-on-the-auspicious-occasion-of-navratri/ https://sadgurudham.com/gujarat-special-event-organized-on-the-auspicious-occasion-of-navratri/#comments Wed, 09 Apr 2025 10:53:53 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2325 गुजरात के द्वारिका में नवरात्रि के पावन अवसर पर सद्गुरु धाम की ओर से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन की शुरुआत 30 मार्च को सद्गुरु के आगमन के साथ हुई थी… जिसका समापन 06 अप्रैल को ब्रह्मदीक्षा और पूर्णाहूति के साथ हुआ। इस दौरान सद्गुरु के आशीर्वचन के साथ गुरु पूजन, भंडारा और साधना से जुडे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया।

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DSS साधना शिविर में सात श्रद्धालुओं ने ली DSS की दीक्षा https://sadgurudham.com/seven-devotees-took-dss-initiation-in-dss-sadhna-camp/ https://sadgurudham.com/seven-devotees-took-dss-initiation-in-dss-sadhna-camp/#comments Tue, 08 Apr 2025 10:32:46 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2319 दिव्य गुप्त विज्ञान, हिमालय की तपोस्थली से निकली एक ऐसी विद्या जो किसी भी साधक के पूरे जीवन को बदलने की क्षमता रखती है। इस विद्या की खोज इस कलयुगी समाज में लोगों के आत्म उत्थान के लिए आज के समय के सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के द्वारा की गई है। ऐसा ही आत्मिक उत्थान के काज महाराष्ट्र में देखने को मिला। जहां सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के प्रभाव का अद्भुत नजारा दिखा।

महाराष्ट्र के अमरावती जिले में 31 मार्च को दिव्य गुप्त विज्ञान साधना शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान एक साथ सात  श्रद्धालुओं ने DSS की दीक्षा ली। यह विलक्षण साधना सद्गुरु के आशीर्वाद से आचार्या गीता भारती जी के नेतृत्व में दी गई। इसका आयोजन भी उनके निवास स्थान पर हुआ। वहीं इस मौके पर आचार्या गीता के साथ आचार्य जयंत तावड़े भी मौजूद रहें। जिन्होंने DSS की दीक्षा से सभी साधकों को अवगत कराते हुए उनके मानसिक शक्ति को मजबूत करने की ट्रेनिंग भी दी।

DSS के साधना शिविर में जिन सात श्रद्धालुओं ने भाग लिया। उनमें मलकापुर के रहने वाले जयंत मिशाले, विनोद, निलेश काले, मुंबई के अक्षया बोबड़े, डॉ कविता और पुणे की रहने वाली पूजा के साथ राहुल पुनसे शामिल थे। इस आयोजन में अभिषेक येलणे और योगेश गवली का भी स्वयंसेवक के रूप में विशेष योगदान रहा।

क्या है दिव्य गुप्त विज्ञान ?

DSS यानी दिव्य गुप्त विज्ञान भारतीय ऋषि और गुरुओं की देन है… इसकी खोज सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज ने की है। यह ध्यान की उच्चतम तकनीकों में शामिल है। जिसके प्रयोग से कोई भी साधक अपने सांसारिक कार्यों में सफल होते हुए समाधि में प्रवेश कर सकता है। यह पूर्णत: वैज्ञानिक विधि है। जिसे सद्गुरु अपने शिष्य यानी सद्गुरु धाम के आचार्यों के माध्यम से लोगों में शक्ति पात कराते हैं। इसके बाद किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का सकारात्मक ऊर्जा में रुपांतरण होने लगता है और DSS लेने वाला साधक सहज योग की ओर बढ़ने लगता है।

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शाहजहांपुर में किया गया हवन पूजन https://sadgurudham.com/hawan-pujan-was-done-in-shahjahanpur/ https://sadgurudham.com/hawan-pujan-was-done-in-shahjahanpur/#comments Tue, 08 Apr 2025 10:26:33 +0000 https://sadgurudham.com/?p=2316 यूपी के शाहजहांपुर में धार्मिक कार्यक्रम देखने को मिले। यहां दो अलग-अलग स्थानों पर हवन पूजन का आयोजन किया गया। ये प्रोग्राम बहेड़ गांव में राकेश सिंह और जमीलापुर में राजन सिंह के आवास पर हुआ। इस दौरान सुरेंद्र पाल सिंह चौहान, ललित मोहन, लीला देवी के साथ सद्विप्र समाज के अन्य लोग भी मौजूद रहें।

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