धर्मो रक्षति रक्षित:
ज्ञान, कर्म, भक्ति और योग को परिभाषित करने वाले श्रीमद्भागवत गीता एक ऐसा ग्रंथ है। जिसमें धर्म और अर्धम की व्याख्या की गई है। इस…
इस साधना में अपने सांसारिक मोह को त्यागकर खुद को एकाकी मानना होता है और फिर परमपूज्य गुरुदेव की कृपादृष्टि से आत्मिक योग का संचालन होता है। जो हमें हमारे होने का बोध कराता है समस्त ब्रह्माण्ड में चराचर प्राणियों को देखने के सौभाग्य के साथ-साथ परमात्मा के दर्शन भी प्राप्त होते हैं लेकिन आत्मा से परमात्मा तक जाने में एकाग्रता का होना अत्यावश्यक होता है। परमपूज्य गुरु जी के कथनानुसार कुंडलिनी साधना के लिए अभ्यास, एकाग्रचित्तता तथा आत्मिक अभिलाषा का होना अधिक जरूरी होता है।
दिव्य गुप्त विज्ञान से मन के दैविक गुण जैसे धैर्य, सन्तोष, सहिष्णुता व प्रेम जाग जाते हैं और इस संसार में ही स्वर्ग दिखने लगता है |
प्रेम को अध्यात्म का मूल मंत्र बताया गया है इसलिए प्रेम साधना से आत्मा को मुक्ति मिलना निश्चित है।
प्रेम साधना के माध्यम से शत्रु को भी वश में किया जा सकता है।
ज्ञान, कर्म, भक्ति और योग को परिभाषित करने वाले श्रीमद्भागवत गीता एक ऐसा ग्रंथ है। जिसमें धर्म और अर्धम की व्याख्या की गई है। इस…
हमारा देश भारत अपनी विविधिताओं के जरिए कई तरह की कहानियों को समेटे हुए हैं। इसमें हिंदुस्तान को बंटने से लेकर लूटने तक और मंदिर-मस्जिदों…
कबीर से लेकर गुरु हरिकृष्ण साहिब और भगवान बुद्ध से लेकर गुरु नानक साहिब तक आपने कई संत और गुरु भक्तों की कहानी सुनी होंगी।…
अध्यात्म से जुड़े इस संसार में लोग जितना ध्यान पूजा पाठ कराने वाले पंडितों पर देते हैं। उतनी ही ध्यान उन तपस्वियों पर देते हैं…