DSS साधना शिविर में सात श्रद्धालुओं ने ली DSS की दीक्षा

दिव्य गुप्त विज्ञान, हिमालय की तपोस्थली से निकली एक ऐसी विद्या जो किसी भी साधक के पूरे जीवन को बदलने की क्षमता रखती है। इस विद्या की खोज इस कलयुगी समाज में लोगों के आत्म उत्थान के लिए आज के समय के सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के द्वारा की गई है। ऐसा ही आत्मिक उत्थान के काज महाराष्ट्र में देखने को मिला। जहां सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के प्रभाव का अद्भुत नजारा दिखा।

महाराष्ट्र के अमरावती जिले में 31 मार्च को दिव्य गुप्त विज्ञान साधना शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान एक साथ सात  श्रद्धालुओं ने DSS की दीक्षा ली। यह विलक्षण साधना सद्गुरु के आशीर्वाद से आचार्या गीता भारती जी के नेतृत्व में दी गई। इसका आयोजन भी उनके निवास स्थान पर हुआ। वहीं इस मौके पर आचार्या गीता के साथ आचार्य जयंत तावड़े भी मौजूद रहें। जिन्होंने DSS की दीक्षा से सभी साधकों को अवगत कराते हुए उनके मानसिक शक्ति को मजबूत करने की ट्रेनिंग भी दी।

DSS के साधना शिविर में जिन सात श्रद्धालुओं ने भाग लिया। उनमें मलकापुर के रहने वाले जयंत मिशाले, विनोद, निलेश काले, मुंबई के अक्षया बोबड़े, डॉ कविता और पुणे की रहने वाली पूजा के साथ राहुल पुनसे शामिल थे। इस आयोजन में अभिषेक येलणे और योगेश गवली का भी स्वयंसेवक के रूप में विशेष योगदान रहा।

क्या है दिव्य गुप्त विज्ञान ?

DSS यानी दिव्य गुप्त विज्ञान भारतीय ऋषि और गुरुओं की देन है… इसकी खोज सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज ने की है। यह ध्यान की उच्चतम तकनीकों में शामिल है। जिसके प्रयोग से कोई भी साधक अपने सांसारिक कार्यों में सफल होते हुए समाधि में प्रवेश कर सकता है। यह पूर्णत: वैज्ञानिक विधि है। जिसे सद्गुरु अपने शिष्य यानी सद्गुरु धाम के आचार्यों के माध्यम से लोगों में शक्ति पात कराते हैं। इसके बाद किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का सकारात्मक ऊर्जा में रुपांतरण होने लगता है और DSS लेने वाला साधक सहज योग की ओर बढ़ने लगता है।

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